Faith (विश्वास)
शारदा काफी गरीब थी। शादी के तीसरे साल ही पति की रोड एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई। अब वह दुनिया में अकेली थी तथा सहारे या आस के नाम पर 1 साल का बेटा विमल था ।
शारदा घर घर जाकर झाड़ू पोछा करती तथा इस तरह दोनों का जीवन चल रहा था। धीरे-धीरे विमल भी बढ़ा हुआ। अब वह 6 साल का हो चुका था तो शारदा ने सोचा इसका स्कूल में दाखिला करवा दिया जाए। गांव में एक स्कूल तो था लेकिन वह प्राइवेट था जिसका फीस शारदा के बस की बात नहीं थी अतः गांव से दूर सरकारी स्कूल में विमल का दाखिला हो गया। विमल छोटा था लेकिन उम्र से ज्यादा समझदार ।दरअसल गरीबी एवं मां की परेशानी ने उसे समय से पहले ही बड़ा बना दिया।
विमल गांव के अन्य बच्चों के साथ स्कूल जाने लगा। स्कूल दूर होने के कारण बच्चे मुख्य रास्ते से अलग रेलवे लाइन से होते हुए स्कूल जाते थे। ऐसा करने से उनकी घर से स्कूल की दूरी लगभग आधी हो जाती थी।
समय बीतने लगा । मां अपने कामकाज में लगी रहती और विमल भी प्रतिदिन स्कूल जाने लगा । विमल गांव के अन्य बच्चों में सबसे छोटा होने के कारण कई बार पीछे रह जाता था या रास्ते में अकेला पड़ जाता था लेकिन कामा यह बात वह अपनी मां को कभी नहीं बताया। वह जानता था कि अगर हम आपको यह बात बताएगा तो मां काफी निराश होगी।
एक दिन विमल स्कूल से वापस आ रहा था की तेज तेज हवाएं चलने लगी । विमल काफी डर गया। इधर शारदा भी काफी परेशान थी कि विमल कहां होगा और वह विमल को लेने उसी रास्ते जिस रास्ते विमल स्कूल से आता था स्कूल की ओर चल पड़ी। जैसे ही शारदा रेलवे लाइन के करीब पहुंची तो विमल को धीरे-धीरे कदमों से आता देखी। विमल ने भी मां को देखा और दौड़ कर उससे लिपट गया। मा एवं बेटे दोनों के जान में जान आई ।
विमल जब रात में खाने पर बैठा तो बड़े प्यार एवं मासूमियत के साथ शारदा से बोला मां मैं कल से स्कूल नहीं जाऊंगा। मैं भी तुम्हारे साथ काम पर जाऊंगा और तुम्हारी मदद करूंगा। शारदा ने यह सुनी तो उसको ऐसा लगा कि किसी ने उसके कान में खौलता हुआ तेल डाल दिया हो । दरअसल शारदा चाहती थी कि विमल खूब पढ़े और बड़ा होकर कोई ऑफिसर बने। शारदा की ऐसी सोच की वजह विमल का पढ़ाई में होशियार होना तथा उम्र से ज्यादा समझदार होना था । शारदा ने विमल को समझाया कि वह अभी बहुत छोटा है। अभी उसको बहुत पढ़ाई करनी है तथा मां के सपने को साकार करना है। शारदा के ऐसा कहने पर विमल फूट-फूट कर रोने लगा और बोला मुझे रास्ते में बहुत डर लगता है। शारदा को अब बात समझ में आ गई थी । पूरे दिन काम में व्यस्तता के कारण विमल को स्कूल छोड़ने तथा लाने की जिम्मेवारी नहीं निभा सकती तथा गरीबी के कारण उसे कोई गाड़ी की व्यवस्था भी नहीं कर सकती ।
शारदा ने रात में सोते समय विमल को बताया कि पढ़ाई कितना जरूरी है और साथ-साथ यह भी बताया कि अगर रास्ते में डर लगे तो किशन भैया को आवाज दे देना। वह उधर ही रेलवे किनारे रहता है आएगा और तुम्हें स्कूल छोड़ भी देगा और ले भी आएगा। बात खत्म। फिर कभी विमल ने शिकायत नहीं की।
फिर 1 दिन कुछ ऐसा हुआ। स्कूल में बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा रखी गई। शिक्षक ने सभी से कुछ ना कुछ लाने को कहा और विमल के हिस्से दूध आई। विमल ने स्कूल से आते ही शारदा को बताया कि कल स्कूल में सरस्वती पूजा है । मास्टर साहब ने सभी को कुछ न कुछ लाने को कहा है। मुझे दूध लाने को कहा है । कल दे देना। शारदा सोच में पड़ गई। वैसे ही बड़ी मुश्किल से वह दो वक्त की रोटी की व्यवस्था कर पाती थी । कल सुबह की ही बात है और अभी रात हो गई है तो किसी के पास जा भी नहीं सकती तथा बेटे को मना भी नहीं करना चाहती थी कि इससे उसका मन टूट जाएगा, फिर शारदा को क्या सूझा बोली अपने किशन भैया से ले लेना । बातें खत्म।
अगले दिन विमल दूध लेकर स्कूल पहुंचा। शिक्षक ने डब्बे को बाल्टी में उल्टा कर दिया लेकिन यह क्या अबे मैं तो दूध खत्म ही नहीं हो रहा। एक बाल्टी भर गई कामा दूसरी लाई गई वह भी भर गई। सभी आश्चर्यचकित। फिर एक शिक्षक ने विमल से पूछा तो विमल ने बताया यह मेरे किशन भैया ने दिया है। शिक्षक को समझते देर न लगी। शिक्षक ने विमल से कहा कि मैं तुम्हारे किशन भैया से मिलना चाहता हूं। विमल ने कहा वह तो रोज मुझे स्कूल छोड़ते हैं फिर छुट्टी पर घर तक। आप आओ मेरे साथ मिल लेना। अब तो शिक्षकों का समय कटे नहीं कट रहा था। आखिर छुट्टी का समय आ ही गया पूरा किशन आगे आगे और सभी शिक्षक पीछे पीछे। विमल ने किशन भैया को आवाज लगाई तो आवाज आई विमल आज तुझे डर नहीं लगेगा मास्टर साहब साथ में है।
यह बात गांव में आग की तरह फैल गई। शारदा भी हैरान। जिस बात को उसने मजाक में कहा वह विमल के विश्वास ने हकीकत में बदल दिया।
विश्वास कर देखिए, जैसे विमल ने किया भगवान आपकी मदद को जरूर आएंगे।
This is a beautiful, beautiful story. It reads like a fable♥️
ReplyDelete