बड़ा बेटा
आज के समाज में बेटा
बड़ा होना अभिशाप है
कल तक थी ये पुण्य की बाते
आज मगर ये पाप है
भाई-बहन की बातेँ छोड़ो
माँ-बाप भी कतराते है
कल तक जो था दायित्व निभाता
आज उसी को सब सताते है
करूँ विवाद तो किससे मैं
यह सोच सोच घबराता हू
रिश्ता कैसे स्वार्थ से हरा
देख- देख शर्माता हू
एक प्रश्न है प्रभु से मेरी
क्या बड़ा बेटा इंसान नहीं
सदा दायित्व निभाता जग में
क्या इसका कोई सम्मान नहीं
Comments
Post a Comment