WILL OF DEFENCE PERSONAL एक सिपाही की अभिलाषा

सरहद पर खड़े बेटे से
मां बोली वहां कैसा है।
फिक्र नहीं है किसी बात का
तेरी गोद के जैसा है।
    जब तक सांस है सीने में
    आबरू नहीं लुटने दूंगा।
    मर जाऊंगा खप जाऊंगा
    तिरंगा नहीं झुकने दूंगा।
तुम ने दूध पिलाया मुझको
मैं इसका कर्ज चुकाऊंगा।
कदमों पर मैं आ न सका तो
तिरंगे में लिपट आऊंगा।
    कसम तुझे है इस बेटे की
    आंसू ना बहने देना।
    फक्र मुझे है अपने लाल पर
    कोई पूछे तो कहना।
मरा नहीं है मेरा बेटा
शहादत उसकी शान है
तीन रंग में रंगा तिरंगा
उसकी असल पहचान है
 बूंद - बूंद मेरे लहू का
देश के काम आएगा
भारत फिर विश्वगुरु बनेगा
नभ में इंकलाब छाएगा

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