पहला प्यार (First Love) part-I

प्रशांत और सौम्या दोनों कॉलेज में साथ साथ पढ़ते थे तथा दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे  । अतः लाजमी  है कि दोनों में जान पहचान भी होगी और यह सच भी थी। दोनों अच्छे दोस्त थे। अक्सर कॉलेज में दोनों साथ-साथ देखे जाते। पूरे कॉलेज में दोनों के दोस्ती की चर्चा आम थी। वक्त बीतता गया और दोनों की दोस्ती भी परवान चढ़ती गई। धीरे धीरे प्रशांत के मन में सौम्या ने अलग जगह बना ली, लेकिन सौम्या के लिए प्रशांत सिर्फ और सिर्फ एक अच्छा दोस्त था। प्रशांत ने कभी भी सौम्या के सामने अपने मन की बात उजागर नहीं की क्योंकि वह डरता था की कहीं सौम्या इसका बुरा ना मान ले और इसका असर उसकी दोस्ती ना पड़े । वैसे भी सौम्या एक अच्छे खासे परिवार से थी जहां उसके दादाजी गांव के सरपंच थे और दूसरी ओर प्रशांत काफी गरीब था। परिवार में उसकी विधवा मां और एक छोटी बहन थी प्रशांत के पिताजी का देहांत एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी जब उसकी बहन केवल 1 साल की थी और प्रशांत भी छोटा ही था।

प्रशांत जानता था की वह काफी दिनों तक अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सकता क्योंकि परिवार का बोझ उसे ही उठाना होगा साथ ही वह यह भी जानता था की उसे कहीं ना कहीं छोटी मोटी नौकरी जरूर मिल जाएगी क्योंकि वह पढ़ाई में काफी होशियार था। उसने अपने मन में सोचा की जब नौकरी मिल जाएगी तब सौम्या के घर वाले से उसकी और अपने शादी की बातें करेगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही कॉलेज से निकलते ही प्रशांत को सेना में नौकरी मिल गई और वह ट्रेनिंग के लिए देहरादून चला गया ट्रेनिंग के 6 महीने बाद जब वह पहली बार घर आ रहा था तो काफी खुश था की अब वह सौम्या के परिवार वालों से अपनी शादी की बात कर सकता है तथा दूसरी खुशी 6 महीने बाद अपने मां एवं बहन से मिलने की थी शाम के लगभग 7:00 बजे प्रशांत घर पहुंचा जहां उसकी मां एवं बहन बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी प्रशांत ने भी घर आते ही हाथ मुंह धो कर अपनी मां एवं बहन के लिए जो उपहार लाया था दिखाने लगा तथा पिछले 6 महीने की कहानियां सुनाने लगा इसी सिलसिले में पूछ बैठा की सौम्या कैसी है उसकी बहन ने झट से जवाब दिया की अगले महीने उसकी शादी होने वाली है। यह सुनते ही प्रशांत को ऐसा लगा जैसे उसके वर्षों के सपने एक ही झटके में चूर चूर हो गए। वह रात भर सो नहीं पाया तथा सुबह उठते ही सौम्या के यहां गया सौम्या के परिवार वाले भी प्रशांत को काफी मानते थे क्योंकि वह बहुत ही अच्छा लड़का था तथा समय-समय पर लिखा पढ़ी में सौम्या के दादाजी की मदद किया करता था। प्रशांत को देख सौम्या के परिवार वाले काफी खुश हुए। सौम्या भी पिछले 6 महीने के प्रशांत की दिनचर्या जानने के लिए काफी उत्सुक थी तथा यह भी जानना चाहती थी की सेना में लोग एवं उसके परिवार वाले कैसे रहते हैं क्योंकि सौम्या का होने वाला पति सेना में अफसर था सौम्या अपने इस होने वाले रिश्ते से काफी खुश थी जब प्रशांत ने सौम्या का यह खुशी देखा तो अपने अरमानों का गला घोट दिया क्योंकि वह जानता था की वह सेना में एक जवान है तथा सौम्या का होने वाला पति अफसर अतः सौम्या को जो खुशी वहां मिल सकती है वह प्रशांत नहीं दे सकता । सौम्या ने प्रशांत को अपने विवाह में जरूर आने के लिए हामी भर वाली लेकिन प्रशांत जानता था की वह सौम्या के विवाह में उपस्थित नहीं हो सकता।

सौम्या का विवाह हो गया और प्रशांत अपनी उपस्थिति के नाम पर उसे शुभकामनाएं भेज दी बात आई और गई हो गई प्रसाद आगे की जीवनी में रम जाना चाहता था तथा सौम्या को भुला देना चाहता था। कुछ दिनों बाद होली थी और सभी अविवाहित अपने अपने घरों को जाने के लिए छुट्टी का आवेदन दे रहे थे प्रशांत ने भी दिया और उसकी छुट्टी मंजूर भी हो गई लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था सीमा पर तनाव बढ़ने के कारण सेना मुख्यालय से आदेश आया की जिसकी छुट्टी अत्यंत आवश्यक ना हो उसकी छुट्टी फिलहाल मंजूर ना की जाए और इसी सिलसिले में प्रशांत की भी छुट्टी रद्द कर दी गई। सभी अविवाहित फौजी जो छुट्टी जाने वाले थे उनके चेहरे लटक गए। प्रशांत का ऑफिसर इंचार्ज लेफ्टिनेंट विमल सक्सेना ने जब अपने जवानों की यह हाल देखि तो उसे एक तरकीब सुझाव और उसने सभी अविवाहित जवानों को होली के दिन होली खेलने के लिए अपने सर्विस क्वार्टर पर आमंत्रित कर दिया।

आगे की कहानी फर्ज भाग 2 में .....


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