VALUES OF PITRU PAKSHA पितृ पक्ष का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आपके पितर। अर्थात पूर्वज पितृपक्ष  में स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर आते हैं और ऐसे समय में विधिपूर्वक श्राद्ध एवं पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है तथा वे आपको आशीष देते हुए स्वर्ग लोक को लौटते हैं।
   वैसे तो दिवंगत परिजन की मृत्यु की तिथि को ही पिंड दान की परंपरा है लेकिन अगर किसी को तिथि का सही अनुमान नहीं हो तो निम्न तिथियों का चयन किया जा सकता है:-
1.    पिता के लिए अष्टमी।
2.    माता के लिए नवमी।
3.    दुर्घटना या अकाल मृत्यु पर चतुर्दशी।
4.    साधु संतों के लिए द्वादशी।
5.    सुहागिन महिला के लिए नवमी।
इस वर्ष प्रतिपक्ष 13 सितंबर से प्रारंभ होकर 28 सितंबर तक चलेगा। इस दिन आप ब्राह्मणों को बुलाकर अपनी क्षमता एवं पूर्वज की पसंद के अनुसार भोजन बनाकर उन्हें खिलाएं जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे । इस दिन आप पशु पक्षियों को भी भोजन दे सकते हैं।

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