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शख्सीयत

वक्त के धरातल पर  रखे कदम हम कुछ ऐसे  कि लोग कह उठे बिल्कुल नहीं बदला वैसा ही है पहले  था जैसे  परिस्थितियों के थपेड़े  इसको नहीं डिगा सके  सच कहते हैं लोग सब  शख्सियत में अगर दम हो  तो फिर कौन है जो उसे मिटा सके  माना होगी तकलीफें बहुत  इस दुनिया में तुझे जीने में  समुद्र मंथन करना पड़ेगा  इच्छा अगर  हो अमृत पीने में